जनसागर टुडे : धीरेन्द्र अवाना
नोएडा । कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के कारण पहले श्मशान घाटों में अतिंम संस्कार करने वाले लोगों को जगह नही मिल पा रही थी अब तो वहा लकड़ियों का अभाव होने के कारण लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।बताते चले कोरोना से होनी वाली मौत लकड़ियों कि खपत बढ़ गयी है।
आपको बता दे कि नोएडा के सैक्टर-94 और शहर में चार जगह बने श्मशान घाटों में बीते एक महीने में एक साल के बराबर लकड़ियों की खपत हो चुकी है।एक महीने में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में 10 हजार क्विंटल लकड़ियों का प्रयोग हुआ।
जिले में कमी पड़ने पर मेरठ और हापुड़ तक से लकड़ियां मंगानी पड़ीं।वही नोएडा प्राधिकरण को लकड़ियों को इकट्ठा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है।अधिकारियों ने बताया कि एक शव के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में करीब चार क्विंटल लकड़ी का प्रयोग होता है।
इन दिनों सबसे ज्यादा शव का अंतिम संस्कार सेक्टर 94 स्थित श्मशान घाट में किया जा रहा है।यहां पर अप्रैल में 50 से 60 शव और अब करीब 35 शव रोजाना आ रहे हैं,
जबकि एक माह पहले दो-चार शव ही आते थे।यहां रोजाना आने वाले कुल शवों में से 10-12 को छोड़ दें तो बाकी का अंतिम संस्कार लकड़ियों से ही किया जा रहा है।इसके अलावा शहर में सेक्टर-14 स्थित शनि मंदिर के पास, सेक्टर-49 बरौला, सेक्टर-52 होशियारपुर और सेक्टर-135 नंगली वाजितपुर गांव के पास बने श्मशान घाट में लोगों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है।
इन जगहों पर सिर्फ लकड़ियों के जरिए अंतिम संस्कार की प्रक्रिया होती है।अधिकारियों ने बताया कि इन चार स्थानों पर प्रत्येक पर रोजाना 4-5 से लेकर 12 शव आ रहे हैं।ऐसे में इन चार जगह ही रोजाना 30-40 लोगों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया की जा रही है।
नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी इंदु प्रकाश ने बताया कि श्मशान घाटों पर लगातार लकड़ियों की मांग बढ़ी है।एक साल में लकड़ियों की इतनी मांग नहीं हुई जितनी इस एक महीने में हुई है। संबंधित स्थानों पर लगातार आपूर्ति की जा रही है।कहीं भी लकड़ी की कमी नहीं होने दी जा रही है।