आजमगढ़ : मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ0 वीके सिंह ने बताया कि जनपद आजमगढ़ मेंं निराश्रित एवं बेसहारा गोवंश को संरक्षित किए जाने के उद्देश्य से 42 गो-आश्रय स्थलों की स्थापना एवं संचालन का कार्य किया जा रहा है, जिनमें 30 ग्रामीण क्षेत्र में तथा 12 शहरी क्षेत्र में है। उक्त 42 गो-आश्रय स्थलों में अद्यतन 3761 गोवंश को संरक्षित किया जा चुका है।
उक्त के अतिरिक्त मा0 मुख्यमंत्री जी की सहभागिता योजना अन्तर्गत 1084 गोवंश को पशुपालकों को सुपुर्दगी में दिया गया है। उन्होने बताया कि संरक्षित गोवंश को समुचित सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उनके भरण-पोषण हेतु स्थानीय स्तर पर भूसा की व्यवस्था ससमय करना एक प्राथमिकता है,
ताकि गोवंश को समय पर भोजन उपलब्ध हो सके तथा उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़ें। उन्होने कहा कि शासन द्वारा समय समय पर दिए गये महत्वपूर्ण निर्देशों के क्रम में जनपद में गेहूॅ की कटाई के समय युद्ध स्तर पर 42 भूसा बैंक की स्थापना की गयी है।
भूसा बैंक की स्थापना के समय इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि आगामी वर्षा ऋतु के समय पानी से भूसा किसी भी दशा में खराब न हो। इसके साथ ही साथ प्रत्येक गो-आश्रय स्थल पर प्रतिदिन की भूसे की आवश्यकता के अनुसार निर्गत करने एवं उसके अभीलेखीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
जनपद में स्थापित 42 भूसा बैंक में कुल 1810 कुन्तल भूसे का भण्डारण राज्य सरकार से प्राप्त होने वाली गोवंश के भरण-पोषण की धनराशि से क्रय किया गया है। भूसा क्रय एवं भण्डारण का कार्य क्रमित है ताकि वर्षा ऋतु से पूर्ण अधिक से अधिक भूसा भण्डारण किया जा सके।
जनपद में गोवंश के भरण-पोषण हेतु पर्याप्त मात्रा में भूसे की उपलब्धता है तथा स्थानीय स्तर पर हरे चारे की उपलब्धता हेतु भी कार्य किए गये है। जनपद में गोवंश के संरक्षण हेतु किसी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं है।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने यह भी अवगत कराया है कि पशुपालन विभाग के समस्त पशुचिकित्साविद् निरन्तर गोवंश की चिकित्सा व्यवस्था हेतु तत्पर है।
सभी गौ आश्रय स्थलों पर भूसा/पानी/छाया गर्मी से बचाव के सभी उपाय किए गये है। गोवंश आश्रय स्थलों के संचालन में सभी विभागों का सक्रिय सहयोग प्राप्त हो रहा है। जिला प्रशासन के सहयोग से जनपद आजमगढ़ के सभी गौ आश्रय स्थलों का संचालन सुचारू रूप से किया जा रहा है।