जनसागर टुडे संवाददाता
देश कोरोना की दूसरी प्रचंड लहर से जूझ रहा है, रोजाना चार लाख के आसपास लोग संक्रमित हो रहे ह़ै। वायरस के प्रकोप के चलते धरातल पर हालात बहुत अधिक तनावपूर्ण हैं। जिस समय प्रदेश के लोग ऑक्सीजन, बेड व दवाईयों के लिए दर-दर की ठोकर खाने के लिए मजबूर हैं, हर जगह कालाबाजारी अपने चरम पर है। लोग अपने मरीजों का इलाज करवाने के लिए पाई-पाई इकट्ठा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं,
उस समय उत्तर प्रदेश सरकार को ऐसी तनावपूर्ण स्थिति में शराब के ठेके खोलने कर अपना खजाना भरने की पड़ी हुई है। जिस तरह से कल ठेके खुलते ही उन पर लंबी लाइन देखने को मिली है, वह स्थिति कोरोना संक्रमण को तेजी से फैलाने के लिए बेहद अनुकूल है। मुझे लगता है कि सरकार अगर दूर्गामी ढंग से विचार करती तो वह शराब के ठेके खोलने का विचार बिल्कुल भी नहीं करती। राजस्व हासिल करने के लालच में शराब के ठेके खोलकर सरकार ने लोगों के जीवन को खतरे में डालने का कार्य किया है।
वैसे भी जब राजस्व के लिए शराब के ठेके खुल सकते हैं तो और दुकान क्यों नहीं खुल सकती है। प्रदेश में रोजाना सैकड़ों लोग महामारी के प्रकोप से मर रहे हैं, माँ गंगा में संक्रमित लोगों की लाश तैर रही हैं। लोगों के समय पर इलाज व दवाई हाथ नहीं आ रही है,
लोग कर्जा लेकर इलाज करवा रहे है, ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार शराब के ठेके खोलकर लोगों को शराब पीने के लिए प्रोत्साहित करने का जघन्य अपराध कर रही है। जनहित में तत्काल आवश्यक है कि सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए और शराब के ठेके को बंद करके अभी कुछ दिन कोरोना कर्फ्यू का पूर्ण सख्ती के साथ पालन करवाना चाहिए, तब ही आम-जनमानस के अनमोल जीवन की घातक कोरोना महामारी से रक्षा हो सकती है।