शहर में करो ना बीमारी से वही बच
जनसागर टुडे संवाददाता
गाजियाबाद सकता है जिसके पास पैसा हो और उच्च अधिकारी से संबंध हो या नेताओं से संबंध हो आम व्यक्ति तो अपने नसीब से ही जिंदा रह रहा है*
गाजियाबाद शहर के जितने भी हॉस्पिटलों में प्रशासनिक अधिकारियों को लगाया गया है ना तो वे आम जनता के फोन उठाते हैं अगर फोन उठा भी लेते हैं तो किसी प्रकार का कोई जवाब नहीं देते मैंने खुद को एडीएम सिटी को कम से कम इन 3 दिनों में 10 बार फोन मिलाया होगा पर उन्होंने फोन नहीं उठाया मेरा क्या गाजियाबाद के हर व्यक्ति के साथ ऐसा होता है गाजियाबाद प्रशासन को जितने भी नर्सिंग होम में उसके बेड के रेट आईसीयू के रेट और वेंटीलेटर के रेट की सूची बनानी चाहिए जिससे यह हॉस्पिटल वाले लोग आम जनता का खून ना चूस पाएं इन हॉस्पिटलों में ₹15000 से लेकर ₹20000 तक के रेट आईसीयू चार्ज किया जाता है और पेशेंट के परिवार वालों से ऑक्सीजन सिलेंडर वह करो ना बीमारी में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों को बाजार से लाने के लिए कहा जाता है अगर कोई परिवार अपने परिवार के सदस्यों को किसी भी तरह हॉस्पिटल में दाखिल कर देता है तो वह दवाइयां कहां से लाएं अगर लंबी सी वजह से इंजेक्शन बाजार से लेने जाओ तो वह कहते हैं हॉस्पिटल वाले आएंगे और अपने आप ले जाएंगे हम बाजार में नहीं दे सकते इस तरह लोगों को अपने परिवार के सदस्यों को बचाने के लिए जो लोग कालाबाजारी कर रहे हैं उनसे खरीदना पड़ता है मेरा गाजियाबाद प्रशासन से निवेदन है कि इन हॉस्पिटलों के रूम आईसीयू और बेड जनरल वार्ड के रेट फिक्स करे जाए जिससे लोगों को राहत मिलेगी