जनसागर टुडे संवाददाता;नरेश सिंघानिया
हे वाहेगुरु मेरी अरदास सुनो चारों तरफ जिधर भी देखता हूं एक ही आवाज आती है मुझे, सभी तुम्हें पुकारते नजर आते हैं है, वाहेगुरु मेहर कर, मैहर कर, मैहर कर इंसान जब चारों तरफ से निराश हो जाता है तब वाहेगुरु तुझे ही पुकारते हैं सब तेरे आगे अरदास कर रहम कर, रहम कर मेहर कर, मेहर कर की आवाज लगाता नजर आता है हे वाहे गुरु मेरी भी अरदास सुनो, इंसान अकेला होता जा रहा है, एक दूसरे से दूर होता जा रहा है,
सबकी रक्षा करो, चारों तरफ अंधकार फैलता जा रहा है, ना जाने क्यों डर सा पैदा होता जा रहा है, क्यों लगता है उसे अकेला होता जा रहा हूं, सभी की सुरक्षा करो, सभी पर मैहर करो, सभी को खुशियां बख्श अमीर हो या गरीब सभी अरदास कर रहे हैं लंबी उम्र बक्श हे मेरे वाहेगुरु है मेरे वाहेगुरु मैहर कर मेहर कर, मैहर कर मैहर कर