हवन पंच तत्वों व शरीर शुद्धि का परम साधन : अनिल आर्य
जनसागर टुडे संवाददाता
गाजियाबाद : मंगलवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य के आह्वान पर “कोरोना से युद्ध वातावरण करो शुद्ध” त्रिदिवसीय अभियान के अंतर्गत घर घर यज्ञ हर घर यज्ञ के प्रथम दिवस में प्रांतीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने अपने निवास पर प्रतिदिन की भांति,अमावस्या के पावन अवसर पर एवं राष्ट्र व्यापी मुहिम कोरोना से युद्ध वातावरण करो शुद्ध में शामिल हो विशेष ओषधिओं, विशेष मंत्रों से आहुतियां दी गई।
और उन्होंने कहा कि वायुमंडल की शुद्धि करण के लिए यज्ञ करें।कोरोना वायरस से बचाव के लिए यज्ञ करें,”सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दुख भाग भवेत्” अर्थात संसार के सभी प्राणी ईश कृपा से सुखी,निरोग,सौ वर्षों तक देखते सुनते और स्वस्थ रहें, इन्हीं कामनाओं के साथ यज्ञ सम्पन्न किया।
राष्टीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने भी इस अभियान में यज्ञ कर कहा कि हवन पंच तत्वों व शरीर शुद्धि का परम साधन है।यज्ञ/हवन केवल एक कर्मकांड ही नहीं अपितु धरती,आकाश,जल,वायु, कृषि एवं शरीर शुद्धि का परम साधन है।पुष्टिवर्धक,रोगनाशक,मिष्ट व सुगंधित पदार्थ और गौ घृत जब अग्नि में डालते हैं,तब अग्नि उनको सूक्ष्म कर अणु परमाणुओं में बदल कर सम्पूर्ण वायु मण्डल में फैला देती है जो हमारे स्वास्थ्य को उत्तम बनाते हैं,
औषधियों से युक्त शुद्ध वायु श्वास प्रश्वास प्रक्रिया द्वारा हमारे फेफड़ों में पहुंचती है जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति को बढ़ाती है और व्यक्ति स्वस्थ व दीर्घ आयु को प्राप्त करता है।इस वायु का रक्त से सीधा संपर्क होता है जिसके कारण शरीर में विद्यमान रोग के विषाणुओं को,कृमियो को या यह कहें रोगों के वायरस को निष्क्रिय या नष्ट कर देते हैं।
राष्ट्रीय महामंत्री आचार्य महेन्द्र भाई ने कहा कि हम यह हमेशा याद रखे कि अग्नि में डाला हुआ पदार्थ कभी भी नष्ट नहीं होता अपितु यह फैल जाता है,इससे पांचों भौतिक तत्वों की शुद्धि होती है और हम जड़ देवताओं के ऋण से मुक्त हो जाते हैं,इसी को हम देव ऋण कहते हैं,इस प्रकार समाज में अनेक प्रकार के रोगों के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
इस अवसर पर सर्वश्री सुरेश आर्य,अग्नि देव शास्त्री,मनमोहन वोहरा,वेद व्यास आदि हजारों लोगों द्वारा यज्ञ किया गया ओर प्रभु से सबके स्वस्थ और रोग मुक्त होने की प्रार्थना की गई।