जनसागर टुडे संवाददाता
लोग अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं, पर अधिकारों को याद रखते हैं। वास्तविकता में हमारे अधिकार से अधिक महत्वपूर्ण एवं आवश्यक हमारे कर्तव्य हैं, जिनके निर्वहन से ही हमारे अधिकार प्रभावी होते हैं।
अपने अधिकारों को अर्जित करने के लिए पहले हमें अपने परिवार, समाज तथा राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों का पालन करना होगा, उसके बाद ही हम नैतिक रूप से अधिकारों की अपेक्षा कर सकते हैं। लेकिन होता यह है कि हमसे जो अपेक्षित है, उसको नज़रंदाज़ करते हुए हम अपनी इच्छाओं की पूर्ति हेतु दूसरों से अपेक्षा करने लगते हैं,
जो हमारे सामाजिक संतुलन को पूर्ण रूप से नष्ट कर देता है। जीवन के प्रति सकारात्मक रहते हुए सर्वप्रथम अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन तो करिये।
आपके अधिकार फिर स्वतः ही उपलब्ध होते जाएंगे। सुप्रभात जीआपका आज का दिन अत्यन्त शुभ, सुखद, समृद्ध एवं मंगलकारी हो। हो तिमिर कितना भी गहरा; हो रोशनी पर लाख पहरा; सूर्य को उगना पड़ेगा,
फूल को खिलना पड़ेगा। हो समय कितना भी भारी; हमने ना उम्मीद हारी; दर्द को झुकना पड़ेगा; रंज को रुकना पड़ेगा। सब थके हैं, सब अकेले; लेकिन फिर आएंगे मेले;
साथ ही लड़ना पड़ेगा; साथ ही चलना पड़ेगा।
अनिल अग्रवाल सांवरिया