Saturday, November 23, 2024
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होमउत्तर प्रदेशआजमगढ़मजबूरी का जमकर फायदा उठा रहे एंबुलेंस संचालक

मजबूरी का जमकर फायदा उठा रहे एंबुलेंस संचालक

जनसागर टुडे संवाददाता

आजमगढ़। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच लोग अपने मरीजों को लेकर बेड और आक्सीजन की तलाश में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भटक रहे हैं। लोगों की मजबूरी का जमकर फायदा एंबुलेंस संचालकों द्वारा उठाया जा रहा है। जिला अस्पताल से वेदांता अस्तपाल की दूरी मात्र 1500 मीटर से अधिक नहीं है। एंबुलेंस संचालक द्वारा इस दूरी का एक मरीज से 1500 रुपये वसूले तक वसूले जा रहे हैं। एंबुलेंस के लिए जिला प्रशासन की ओर से कोई रेट निर्धारित नहीं किया गया है। जिसका फायदा हमेशा से एंबुलेंस संचालक उठाते आए हैं।

इस आपदा काल में भी एंबुलेंस संचालकों द्वारा लोगों से मनमानी वसूली की जा रही है। उनके द्वारा लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए मरीज को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए मुंहमांगी कीमत मांगी जा रही है। अपने मरीज की खराब हालत को देखते हुए लोग उनके द्वारा मांगी गई धनराशि को देने के लिए विवश हैं।

वहीं अन्य जगहों पर भले ही एंबुलेंस का भाड़ा निर्धारित किया गया हो लेकिन जनपद में ऐसा नहीं है। जिला प्रशासन की ओर से सभी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसका खामियाजा लोगों को उठाना पड़ा रहा है। आम दिनों में लोकल भाड़ा 800 से 1000 तक, बनारस जाने का 3000 रुपये और लखनऊ का 6500 रुपये लिया जाता है। लेकिन वर्तमान में यह भाड़ा दुगुना से अधिक हो चुका है।

एंबुलेंस संचालक डेड बॉडी को शमशान या कब्रिस्तान ले जाने के लिए भी मनमाना चार्ज वसूल रहे हैं। गुरुवार को जहानागंज थाना क्षेत्र के बबुरा गांव निवासी एक व्यक्ति की जिला अस्पताल लाया गया था। जहां उसकी मौत हो गई। शव को घर तक पहुंचाने के लिए परिजन सरकारी एंबुलेंस खोजने लगे जब वह नहीं मिली तो प्राइवेट एंबुलेंस वालों से बात की।

एंबुलेंस संचालकों द्वारा 25 से 30 किमी दूरी का उनसे 6000 रुपये वसूला गया। बाजार में सभी एंबुलेंस संचालक लोगों से भारी-भरकम चार्ज वसूल रहे हैं। मजबूरी में लोग उसे देने को भी विवश हैं। एक तो प्रशासन की ओर से एंबुलेंस संचालन का कोई रेट निर्धारित नहीं किया गया है।

दूसरे आपदा की इस घड़ी में भी उनके द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसके कारण एंबुलेंस संचालकों के हौसले बुलंद हैं उनके द्वारा लोगों से मनमाना किराया वसूला जा रहा है। मरीजों के परिजन भी इसकी शिकायत करने नहीं जाते हैं। क्योंकि आफत की इस घड़ी में वह किसी पचड़े में पड़ने की बजाए अपने मरीज का उपचार कराना ज्यादा जरूरी समझ रहे हैं।

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