जनसागर टुडे संवाददाता
मन की शान्ति के आगे कुछ भी सार्थक नही लगता। यदि मन ही अशांत रहा तो दुनिया की सारी सुख-सुविधाएं, ऐशो-आराम भी बेकार एवं बोझ लगने लगते हैं। अनजाना भय हमेशा दिल और दिमाग को घेरे रहता है। धन एवं सम्पत्ति, जिसको बड़ी मेहनत से एकत्र किया गया हो, वही हमारा परिहास करते दृष्टिगत होते हैं। इसके विपरीत यदि मन शांत हो, घर, परिवार, समाज एवं राष्ट्र में शांति का वातावरण हो तो मन सदैव प्रफुल्लित रहता है तथा समृध्दि के सुखद वातावरण का निर्माण होता है। अतः किसी भी कार्य को करने से पूर्व यह अवश्य सुनिश्चित कर लें कि कही वह कार्य राष्ट्र, समाज, परिवार एवं स्वयं हमारे हृदय की शांति के लिए घातक तो नही। मन की शान्ति से बढ़कर भी भला कोई दौलत, सम्पदा, वैभव, व्यक्ति, ताकत या संबंध हो सकते हैं.?