Tuesday, November 26, 2024
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प्रेम का अभाव

जन सागर टुडे संवाददाता
संसार के सारे नाते स्‍नेह के नाते हैं। उनके मूल में प्रेम है। जहां स्‍नेह नहीं वहां कुछ भी नहीं है। स्नेह सिर्फ हृदय से ही होता है, और इसके मूल में संवेदनायें होती हैं, लाभ-हानि की गणनायें नहीं। हमारे जितने भी संबंध हैं, जिन पर हम विश्वास एवं भरोसा कर सकते हैं,
उनके मूल में स्नेह एवं प्रेम ही है। जिस संबंध या नाते में स्नेह एवं प्रेम का अभाव होता है, उनमें सदैव एक दूसरे के प्रति अविश्वास की भावना बनी रहती है। ऐसे संबंध व्यावसायिक एवं शुद्ध रूप से सिर्फ लेन – देन पर ही टिके होते हैं। जहां लेन – देन
समाप्त हुआ, ऐसे संबंध स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं।
इस तरह के व्यावसायिक संबंध हर स्तर पर मिलते हैं, एवं अति-निकट के रक्त-सम्बन्धियों में भी संभव हैं। संबंधों में स्नेह व प्रेम का अभाव न होने दे। स्नेह से सिंचित संबंध ही हमारी विशिष्ट पूंजी हैं। सुप्रभात जी आपका आज का दिन एवं आने वाला सम्पूर्ण सप्ताह अत्यन्त शुभ, सुखद, समृद्ध, सकारात्मक एवं मंगलकारी हो।
मानव *मस्तिष्क में दो घोड़े दौड़ते हैं, एक नकारात्मक, दूसरा सकारात्मक, जिसको आप ज्यादा भोजन देंगे, वो आप के मस्तिष्क पर हावी होगा और रेस जीतेगा। इसलिए सकारात्मक सोच रखें।

_लेखराज माहौर समाजसेवी एवं भाजपा नेता गाजियाबाद

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