Friday, November 22, 2024
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होमआलेखशिष्य संख्या भी काफी विशाल थी

शिष्य संख्या भी काफी विशाल थी

जनसागर टुडे संवाददाता

यूनान के एक अति संपन्न जमींदार थे आलर्स वाइडीस | उन्हें अपने धन-वैभव पर बड़ा अभिमान था | एथेन में उस समय दार्शनिक सुकरात की बड़ी ख्याति थी | लोग सुकरात के ज्ञान से अत्यधिक प्रभावित थे | उनकी शिष्य संख्या भी काफी विशाल थी |आलर्स वाइडीस ने जब सुकरात की लोकप्रियता के विषय में सुना तो वह भी सुकरात से मिलने चला आया |

सुकरात के सादगीपूर्ण रहन-सहन को देख कर उसने मुँह बिचकाया और सुकरात को अपना परिचय देकर अपनी जागीर और धन-वैभव की बात करने लगा |सुकरात मौन भाव से सुनते रहे | कुछ देर बाद जब चार्ल्स चुप हुआ तो सुकरात ने अपने एक शिष्य से दुनिया का एक नक्शा मंगवाया | उसे ज़मीन पर फैलाकर आर्ल्स से पुछा इसमें अपना देश यूनान कहा है ?

आर्ल्स ने नक़्शे में यूनान बता दिया |फिर सुकरात ने पूछा और अपना एरिका प्रान्त कहा है ? आर्ल्स ने बड़ी कठिनाई से प्रान्त खोजकर बताया | उसके बाद सुकरात ने पून: प्रश्न किया-इसमें आपकी जागीर की भूमि कहाँ है ?आर्ल्स ने कहा नक़्शे में इतनी छोटी भूमि कैसे बताई जा सकती ?

तब सुकरात बोले- भाई! इतने बड़े नक़्शे में जिस भूमि के लिए एक बिंदु भी नहीं रखा जा सकता, उस नन्ही सी भूमि पर तुम इतना गर्व करते हो ? सुकरात की बात सुनकर आर्ल्स के मुख पर ग्लानि का भाव प्रकट हुआ और उसने तत्काल सुकरात से क्षमा मांगी।

 भारत भाटी
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