जन सागर टुडे संवाददाता
जीवन की दुर्घटनाओं में अक्सर बडे महत्व के नैतिक पहलू छिपे हुए होते हैं। अगर हम सब उनसे सीख लेकर अपने जीवन में अपना लें, तो हमें उनसे होने वाले मानसिक क्लेश एवं शारीरिक कष्टों की संभावना लगभग समाप्त हो जाती है।
जो भी घटनायें हमारी सोच, विचार एवं सुविधा के अनुकूल होती हैं, वो हमें सुख तथा प्रसन्नता प्रदान करती हैं। किन्तु वह घटनायें जो हमारे विचारों,दृष्टिकोण व स्वभाव के प्रतिकूल होती हैं,
वो हमें कष्ट व अशांति पहुंचाती हैं। यदि हम निर्विकार रूप से देखें तो यह सब एक प्राकृतिक रूप से होने वाली सामान्य जीवन-प्रक्रिया ही है। साथ ही यह भी स्पष्ट हो जाता है । कि जीवन में हमारे नियंत्रण में कुछ भी नही है।
प्रकृति अपने वेग व स्वभाव से स्वयं हम को नियंत्रित कर रही है वर्तमान महामारी इसका प्रत्यक्ष तथा स्पष्ट प्रमाण है सुप्रभात जी आपका आज का दिन अत्यन्त शुभ एवं मंगलकारी हो। ज्ञान के बाद यदि अहंकार का जन्म होता है तो वो ज्ञान ज़हर है किन्तु ज्ञान के बाद यदि नम्रता का जन्म होता है तो यही ज्ञान अमृत है।