जिंदगी सबको अच्छी लगती है। आज इंसान की बेबसी और लाचारी इतनी बढ़ गई कि वह एक सांस लेने के लिए भी तरस गया कभी यह किसी ने भी ना सोचा था कि आज लोग मजबूर हो के मरेंगे। इंसान की मजबूरी बेबस और लाचारी उसके हालात उसे मजबूर करते हैं तब वह अपने जीवन से जंग हार जाता है। यहां तो खेल चंद सांसों का है।
बस ख़ाली हाथों के सिवा जिंदगी में आज कुछ भी हासिल नहीं है। खूबसूरत सी जिंदगी तुझसे आज हम सब बस तेरा ही पता चाहते हैं। प्यारी सी जिंदगी तुझसे और क्या चाहे थाम पाया न जिसे कोई लम्हा। जिंदगी आज ऐसा लगता है हाथ से झड़ती रेत हो जैसे। आज सांस एक भी नहीं तेरे बस में तू भी कितनी बेबस है।
फिर कैसा और क्यों जिंदगी का गुरूर था फिर क्यों तू अपनों से ही दूर था कभी देखा नहीं तूने मुड़ कर तू कितना मगरूर था। कभी बैठ ना पाया कुछ पल अपनों के साथ अपनों के पास क्योंकि कहने के लिए था कि मुझे मरने तक की भी फुर्सत नहीं। पढ़ने की कोशिशें सभी तेरी बेकार होती जा रही। महज चंद लफ़्ज़ों में ऐ ज़िंदगी तुझको समेटा न जाएगा।
जिंदगी क्यों तुझसे ही हम कटते रहे, आपस में ही हम लड़ते रहे, टुकड़ों-टुकड़ों में ही हम बंटते रहे। आज जो यह दर्द है हर सांस के हिस्से में बंट गया है। ताउम्र हो न पाई भरपाई कितने टुकड़ों में जिंदगी पाई। शुरू होती वहां से, ख़त्म होती जहाँ से है। तू ही बता ऐ जिंदगी तेरी हद कहाँ से है। नदी के तेज़ बहाव को पार करते हुए हमें उसके तल पर जमे पत्थरों से मिलने वाली चोट का हमें अंदाज़ा नहीं होता।
हम सब इस वक्त़ बस इस तेज़ बहाव वाली नदी से ज़िंदा बच निकलने का रास्ता ही ढूंढ रहे हैं। जो कुछ भी झोंकना हैं वो झोकेगा। यदि आपके मोहल्ले में आग लगी हुई हो, तो पहले आपको क्या करना चाहिए। जिसके घर में सिलेंडर फटा है उसको जाकर पहले पीटना चाहिए या उस पर मुकदमा दर्ज कराना चाहिए। हम अपनी ज़िंदगियों को बचाने और संवारने में लगा सकते हैं।
लेकिन ये भी सच है कि मनुष्य कितना भी सोच-विचार करके इस विपदा से लड़ने की कोशिश कर ले वो कुछ अनदेखे और अप्रत्याशित ख़तरों से पूरी तरह मुक्त नहीं हो सकता है। इसलिए इस समय जो चीज़ सबसे ज़्यादा मानव जीवन की मदद कर सकता है,
वो है सूचनाओं के आदान-प्रदान में पारदर्शिता, सकारात्मक विचार,सकारात्मक सहयोग, एक दूसरे को प्यार, एक दूसरे को सम्मान, एक दूसरे का सहयोग करें, मानसिक सपोर्ट करें।
कोई भी ऐसी बातें ना करें जिससे लोगों का मनोबल टूटे। लोगों की इच्छाशक्ति को दृढ़ करना है, उसे स्वयं पर विश्वास हो उसके विश्वास को जागृत करने मैं सहयोग करें। मैं ठीक हूं, स्वस्थ हूं ऐसा स्वयं पर विश्वास हो,
क्योंकि हमारा अमूल्य जीवन आज मूल्य-विहीन हो गया है। हमें खुद से ही प्रेम करना होगा अपने लिए अपनों के लिए अपने आप को बचाना होगा। क्योंकि हमारा यह जीवन अमूल्य है कोई बीमारी, कोई महामारी उसे मूल्य-विहीन नहीं कर सकती अपने आप को सकारात्मक रखें।सच ये है
कि एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के लिए हम सब के पास बाद में बहुत समय होगा लेकिन इस वक्त़ जो ज़्यादा ज़रूरी और महत्वपूर्ण है वो ये कि हम सब मिलकर एक साथ इस विपदा का सामना करें हम आप जो भी चीज़ देख रहे हैं, उसका अतीत बन जाना तय है। पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व भी इसमें शामिल है। एक दिन ये भी अतीत बन जाएगा।
तब तक के लिए हम हमेशा अपने आप को सुरक्षित रखे हैं अपने अमूल्य जीवन को मूल्य-विहीन न बनने दें। रियल सुपर वूमेन ममता शर्मा इंडियन एंड वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर, राइटर, स्पीकर, करियर काउंसलर, एजुकेशनिस्ट, सोशलिस्ट, लाइफ कोच