महावीर स्वामी ने दिया था सत्य,अहिंसा,त्याग का ज्ञान-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
जनसागर टुडे संवाददाता
गाजियाबाद : रविवार को केंद्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “महावीर का संदेश:अहिंसा परमो धर्म” विषय पर आर्य गोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन ज़ूम पर किया गया। यह परिषद का कोरोना काल में 209 वां वेबिनार था।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि महावीर ने अपने प्रवचनों में अहिंसा,सत्य,अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह पर सबसे अधिक जोर दिया।त्याग और संयम,प्रेम और करुणा,शील और सदाचार ही उनके प्रवचनों का सार था।महावीर ने श्रमण और श्रमणी,श्रावक और श्राविका, सबको लेकर चतुर्विध संघ की स्थापना की।उन्होंने कहा- जो जिस अधिकार का हो,वह उसी वर्ग में आकर सम्यक्त्व पाने के लिए आगे बढ़े।जीवन का लक्ष्य है समता पाना।धीरे-धीरे संघ उन्नति करने लगा।देश के भिन्न-भिन्न भागों में घूमकर भगवान महावीर ने अपना पवित्र संदेश फैलाया।
कार्यक्रम अध्यक्षता करते हुए समाज सेवी स्वदेशी आयुर्वेद के निदेशक डॉ आर के आर्य ने कहा कि भगवान महावीर के पांच सिद्धांत पूरे विश्व में अहिंसा, सत्य,अचौर्य,ब्रह्मचर्य एवं अपरिग्रह के रूप में प्रसिद्ध हुए। जिनको अपनाकर लाखों जीवों ने अपना कल्याण किया।उनका सबसे बड़ा सिद्धांत था कि जियो और जीने दो।अथार्त स्वयं जीते हुए संसार के प्रत्येक प्राणी को जीने का अधिकार है।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी अहिंसा के मूर्तिमान प्रतीक थे।उनका जीवन त्याग और तपस्या से ओतप्रोत था।एक लँगोटी तक का परिग्रह नहीं था उन्हें।हिंसा,पशु बलि,जाति-पाँति के भेदभाव जिस युग में बढ़ गए,उसी युग में पैदा हुए महावीर और बुद्ध।दोनों ने इन चीजों के खिलाफ आवाज उठाई।दोनों ने अहिंसा का भरपूर विकास किया।
इंदिरापुरम आर्य समाज के यशस्वी प्रधान विजय आर्य गर्ग, नया गंज के विश्वबंधु आर्य,आर्य समाज टीला के पुरोहित दिनेश दत्त आर्य,डा राज बुद्धिराजा, सुनीता बुद्धिराजा के आकस्मिक निधन पर परिषद ने शोक व्यक्त कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर डॉ सुषमा आर्या, चंद्रकांता आर्या,यशोवीर आर्य व आचार्य हरिओम शास्त्री ने भी अपने विचार प्रस्तुत कर महावीर स्वामी के उपदेशों पर प्रकाश डाला।
गायिका संतोष आर्या,कुसुम भण्डारी,प्रवीना ठक्कर,सविता आर्या,नरेन्द्र आर्य सुमन,पुष्पा चुघ,सुशांता आर्या,प्रतिभा कटारिया,जनक अरोड़ा,द्रोपदी तनेजा आदि ने अपने गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
आचार्य महेन्द्र भाई,सौरभ गुप्ता, आनन्द प्रकाश आर्य,डॉ रचना चावला,सुलोचना देवी,ललित बजाज,उर्मिला आर्या आदि उपस्थित थे।