जन सागर टुडे संवाददाता
गाजियाबाद : अनिल यादव समाजसेवी गाजियाबाद का कहना है कि जीवन में मृत्यु को हम जितना पास से देखते हैं ये जगत हमें उतना ही नश्वर नजर आने लगता है वर्तमान स्थिति भी कुछ ऐसी ही बन गई है| हम किंकर्तव्यविमूढ़ हो कर चहुं ओर न चाहते हुए भी मृत्यु का तांडव देख रहे हैं ये सत्य है खोने का दुःख खो कर ही अनुभव किया जा सकता लेकिन जब हर तरफ बिछड़ने और जाने के करुण क्रंदन ही सुनाई दें तो हमारा मन भी स्वतः ही वेदना से भर जाता है | अगर प्रकृति ही अपने निर्माण के विध्वंस पर उतारू हो जाए तो जीवन की क्या बिसात? सम्भवत: प्रकृति के संकेतों को न समझ पाने के ही परिणाम ही आज हम भुगत रहे हैं | प्रलय तो परमात्मा का विषय है और वो अपने अनोखे संसार को यूं ही तो समाप्त नहीं होने देगा बस हमसे कुछ उम्मीदें होंगी शायद उनको ही पूरा करने का अंतिम अवसर है ये आज अपने प्रभु से जीवन में, समस्त जड़, चेतन, जीवों के लिए जियो और जीने दो के भाव को संरक्षित रखने की अलौकिक प्रार्थना के साथ ||