जन सागर टुडे संवाददाता: धीरेन्द्र अवाना
नोएडा । गौतमबुद्ध नगर में लगातार बढ़ते कोरोना के मरीजो को देखकर एक तरफ जिला प्रशासन प्रभावी कदम उठा रही है। वही दूसरी ओर पिछले एक सप्ताह कोरोना के मरीजों को दी जाने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी बरकरार है।
कोरोना मरीज इंजेक्शन लेने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं, लेकिन उन्हें खाली हाथ अस्पताल लौटना पड़ रहा है। मामले को गंभीरता को देखते हुये प्रदेश सरकार ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कारवाई करने के आदेश दिये है। इसी क्रम में नोएडा पुलिस को उस एक सफलता मिली जब थाना सैक्टर-20 व क्राइम ब्रांच गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने संयुक्त अभियान के तहत रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले एक व्यक्ति को थाना क्षेत्र के सैक्टर-29 से गिरफ्तार किया।
पुलिस ने बताया कि आरोपी के पास से सैकड़ो की संख्या में रेमडेसिविर बरामद हुई हैं । फिलहाल पुलिस आरोपी युवक से पूछताछ कर रही है। आरोपी की पहचान दिल्ली निवासी रचित घई के रुप में हुयी।
पुछताछ में अभियुक्त ने बताया कि वह दिल्ली व चंडीगढ से इंजेक्शन लाकर नोएडा में कालाबाजरी करता था और जरूरतमंद लोगों को 15,000 से 40,000 रुपये के बेचता था। पुलिस दवा के स्त्रोत के विषय में जानकारी ले रही है। अपर पुलिस उपायुक्त (जोन प्रथम) रणविजय सिंह ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ लोग सोशल मीडिया के माध्यम से कोविड-19 से संक्रमित लोगों से संपर्क कर रहे हैं तथा मोटी रकम लेकर रेमडेसिविर दवा की सप्लाई कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि क्राइम ब्रांच की टीम और सेक्टर 20 थाना पुलिस ने मंगलवार रात को एक सूचना के आधार पर सेक्टर-30 के पास से रचित घई को गिरफ्तार कर लिया। व्यक्ति के पास से विभिन्न कंपनियों की रेमडेसिविर इंजेक्शन की 105 शीशियां और 1.54 लाख रुपये नकद बरामद किए गए हैं, जबकि उसकी कार को जब्त कर लिया गया है।
नोएडा में रेमडेसिविर के साथ-साथ ऑक्सीजन की भी कमी मंगलवार से नोएडा में ऑक्सीजन भी कमी होने लगी है जिससे मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। जिले को प्रतिदिन 60 टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है, लेकिन विभाग सिर्फ 30 टन का ही इंतजाम कर पा रहा है।
सोमवार रात सेक्टर-39 स्थित कोविड अस्पताल में अचानक ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो गई। कर्मचारियों ने आक्सीजन के लिए 100 से ज्यादा बार कंपनी में कॉल किया, लेकिन 30 मिनट तक ऑक्सीजन नहीं मिली। जिससे आईसीयू के मरीजों की हालत खराब होने लगी। पहले के रखी ऑक्सीजन से जैसे तैसे काम चलाया गया। आधा घंटा बाद ही ऑक्सीजन उपलब्ध हो पाया।