दैनिक जन सागर टुडे संवाददाता
हम सभी देशवासी कोरोना संकट से घिरे हैं। चाहे वो अमीर हो गरीब हो, नेता हो अभिनेता हो, व्यापारी हो या ग्राहक हो, निर्माता हो या उपभोक्ता हो या यों कहें किसी भी दल, किसी भी धर्म, किसी भी जाति, किसी भी वर्ग या किसी भी पेशे का हो कोरोनावायरस की मार से कोई अछूता नहीं रहा है। कोरोना की मार से तन नष्ट, मन नष्ट और धन नष्ट हो रहा है जो देश के लिए देश वासियों के लिए अर्थव्यवस्था के लिए बहुत घातक है। कुछ लोग देश को इस संकट से उभारने के लिए अपना सर्वस्व दाव पर लगाकर तल्लीन हैं तो दूसरी तरफ कुछ लोग अपने लाभ, मुनाफाखोरी के लिए अंधे होकर कालाबाजारी कर रहे हैं। चाहे वो जान की रक्षा करने वाली दवाएं हों या इंसान को क्षणिक आनंद देकर धीरे धीरे जीवन का नाश करने वाली मादक सामग्री।
पहले लॉकडाउन में सरकार के द्वारा कालाबाजारी करने वालो पर कार्यवाही हेतु दिशानिर्देश जारी करते हुए छापेमारी की कार्यवाही की गई थी। परन्तु कोरोना संकट के इस दूसरे चरण में कालाबाजारी करने वालों में सरकार की इस कार्यवाही का खौफ होने की बजाय मुनाफाखोरी की झलक ज्यादा दिखाई पड़ रही है। गुटखा, बीड़ी सिगरेट, तम्बाकू इसका जीता जागता उदाहरण है जो सरकार की व्यवस्था को अंगूठा दिखा रही है। इसलिए सरकार को चाहिए कि क्यों ना कोई ठोस कदम उठाया जाए न रहे बांस न बजे बांसुरी।