दैनिक जन सागर टुडे संवाददाता:धीरेन्द्र अवाना
नोएडा । नोएडा में दंबग रिकवरी एजेंटों द्वारा गनपाईट पर छिनी गयी गाड़ी के मामले में पीड़ित करीब नौ माह से आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दर-दर की ठोकर खा रहा है।
हारे का सहारा बनी कोर्ट ने पीड़ित को राहत देते हुये पहले आरोपियों के खिलाफ एफआईआर के आदेश दिये उसके बाद अब आरोपियों की बेल भी खारिज कर दी है।
लेकिन फिर भी पुलिस आरोपियों को पकड़ने के लिए पता नही कौन सी शुभ घड़ी का इंतेजार कर रही है।
आपको बता दे कि नोएडा के छलेरा निवासी राजबहादुर सिंह ने छः फरवरी 2017 को एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक सैक्टर-18 नोएडा से एक गाड़ी फाइनेंस करवायी थी।पीड़ित ने गाड़ी की 36 किस्तों में से 34 किस्त बैंक को अदा कर दी थी।लॉकडाउन लगने के बाद पीड़ित अपने निजी कारणों की वजह से बची दो किस्त जमा नही कर पाया।
जिसके बाद बैंक के दंबग रिकवरी एजेंटों ने गनपाईट पर पीड़ित की गाड़ी छिन ली।जो आज करीब नौ महीने बाद भी पीड़ित को नही मिल पायी है।नौ महीने से पीड़ित पुलिस के तमाम उच्च अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर काट रहा है।
कोर्ट के आदेश पर थाना फेस-3 ने आरोपी हिमांशु शुक्ला,मनु चौधरी,हैदर अली और प्रवीण कुमार के खिलाफ आइपीसी की धारा 392,504,506और 411 के तहत केस दर्ज कर लिया।नौ महीने के बाद पुलिस ने पीड़ित की गाड़ी तो बरामद कर ली लेकिन आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार नहीं कर पायी।लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आरोपियों के सामने पुलिस नतमस्तक क्यों है।
सूत्रों की माने तो थाना फेस-3 पुलिस ने अपने निजी स्वार्थों के लिए आरोपियों को अभय दान दे रखा है।पीड़ित का दावा है कि कई बार पुलिस से मिलकर सारे सबूत दे चुका हूँ लेकिन इसके बावजूद पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर रही है।पीड़ित राजबहादुर सिंह ने कहा कि अपनी गाड़ी को औला और ऊबर में चलाकर अपने परिवार का लालन पोषण करता था।आज नौ महीने बाद घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है।आरोपी खुलेआम धमकी दे रहे है। वही दुसरी ओर पुलिस द्वारा सहयोग ना मिलने पर आत्महत्या तक का विचार मन में आ जाता है।अगर कोर्ट का सहारा ना मिलता तो मैं और मेरा परिवार बिल्कुल टूट जाता।बताते चले कि पीड़ित परिवार इस मामले को लेकर जिले से लेकर प्रदेश के उच्च अधिकारियों तक अपनी शिकायत पहुचा चुका है।लेकिन कहीं भी सुनवाई नहीं हुयी।