जनसागर टुडे
गाजियाबाद -“सन्त शिरोमणि रविदास जी” का जन्मोत्सव धूमधाम से श्री गुरु रविदास मन्दिर प्रांगण में आयोजित किया गया, कार्यक्रम की अध्यक्षता सहदेव गिरी ने की, कार्यक्रम में मुख्य अतिथि समाजवादी पार्टी के वरिष्ट नेता लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के संस्थापक/अध्यक्ष राम दुलार यादव ने दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ किया| गोविन्दगिरी महराज, भन्ते पूर्णिमा जी ने भी सन्त रविदास जी के जीवन पर प्रकाश डाला| महिला उत्थान संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्षा बिन्दू राय भी कार्यक्रम में शामिल हो दूर-दूर से आये सन्त-महात्माओं का आभार व्यक्त किया|
समारोह को सम्बोधित करते हुए राम दुलार यादव वरिष्ट नेता समाजवादी पार्टी ने कहा कि सन्त शिरोमणि रविदास जी मानवतावादी सन्त, रूढ़िवाद, पाखण्ड, अन्धविश्वास, कुरीतियों और समाज में व्याप्त विषमता के घोर विरोधी रहे| उन्होंने सारा जीवन सद्कर्म करते हुए दलित, पीड़ित, बेबस, वंचित वर्ग के उत्थान के लिए लगाया, तथा ऊँच-नीच, जांत-पांत में बटे समाज को समता का पाठ पढाया, उनका मानना था कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता, हमें मेहनत और लगन से कर्म करते रहकर नेक कमाई को अपने परिवार के साथ-साथ समाज के उपेक्षित और कमजोर वर्गों के कल्याण में लगाना चाहिए, उन्होंने त्याग, तपस्या और दान के महत्व को लोगों को समझाया, तथा कहा कि समाज सहयोग और प्रेम से समरस होता है, हमें समाज में व्याप्त परम्पराओं का समूल नाश कर प्रगतिशील और समतामूलक समाज बनाने में अपना जीवन लगाना चाहिए, तभी लोगों में असहिष्णुता और नफ़रत के स्थान पर सद्भाव, भाईचारा देश में बढेगा, गैर बराबरी दूर होगी, वे जातिवाद के घोर विरोधी थे, ज्ञान के महत्त्व को लोगों समझाते हुए कहा कि:-
“जाति न पूछो साधु की, पूंछ लीजिये ज्ञान|
मोल करो तलवार का, पड़ी रहे जो म्यान”||
उन्होंने लोगों के मन से कटुता, ईर्ष्या को दूर, निर्मलता, स्वच्छता के लिए कार्य किया, उन्होंने कहा है कि “मन चंगा, तो कठौती में गंगा” उन्होंने कर्म की प्रधानता पर जोर दिया, तथा सन्देश दिया कि हमें सन्त-महात्माओं को भी परजीवी न रहकर स्वयं कार्य कर लोगों में बाँटकर अपना और जरुरतमंद का भरण-पोषण करना चाहिए| वे स्वयं जूता बनाते तथा मरम्मत कर जो धन अर्जित करते वह स्वयं तथा दूसरों के कल्याण में लगाते थे, वे त्याग, तपस्या, सत्य, ज्ञान की प्रतिमूर्ति थे| कार्यक्रम में प्रमुख रूप से शामिल रहे, राम दुलार यादव, सन्त गोविन्दगिरी, संतोष दास, फौजुद्दीन, किरण पाल, रामपाल सिंह, रमेश चन्द, भन्ते पूर्णिमा, महिला उत्थान संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्षा बिन्दू राय, द्वारिका दास, मूलचन्द आदि अनेंकों गणमान्य विद्वान, सन्त शामिल रहे