नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। माता का रंग अत्यंत गोरा है, इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से पुकारते हैं। शास्त्रों के अनुसार, मां महागौरी ने कठिन तप कर गौर वर्ण प्राप्त किया था। मान्यता है कि मां महागौरी भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं और उनके बिगड़े कामों को पूरा करती हैं|
अब मां महागौरी का आवाहन, आसन, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, आभूषण, फूल, धूप-दीप, फल, पान, दक्षिणा, आरती, मंत्र आदि करें। इसके बाद प्रसाद बांटें।
शारदीय नवरात्र की अष्टमी व नवमी आज मनाई जा रही है। इस दौरान सुबह से ही घरों और मंदिरों में कन्या पूजन किया गया। अष्टमी सुबह 6 बजकर 57 मिनट तक रही। नवरात्र में कन्या पूजन श्रेष्ठ माना जाता है। वहीं, शुक्रवार को कुछ श्रद्धालुओं ने अष्टमी का व्रत रखा और कन्याएं जिमाई गईं।
श्री पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर में शनिवार को अष्टमी मनाई जा रही है। 25 की सुबह नवमी कन्या पूजन होगा, साथ ही नवरात्र का समापन होगा। इस दौरान दिगंबर भागवत पुरी, दिलीप सैनी, सुनील अग्रवाल, रामस्वरूप यादव, रिंकू शर्मा, राजकुमार गुप्ता, संजय कुमार गर्ग व अन्य उपस्थित रहे।
ज्योतिषाचार्य विजेंद्र प्रसाद ममगाईं ने कहा कि अष्टमी की कन्या पूजन सुबह सात बजे तक किया जा सकता है। इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो गई है। कन्या पूजन में 09 कन्याओं को भोज व दक्षिणा देना पुण्यकारी होता है। इन कन्याओं को दुर्गा के नौ अवतार के रूप में माना जाता है।
आज ही मनाएं अष्टमी, कल दशहरा
आचार्य डॉ. सुशांत राज ने कहा कि कोरोना का प्रभाव अभी भी बना हुआ है। छोटे बच्चों पर इसका अधिक प्रभाव रहता है। इसलिए कन्या पूजन पर लोग बेटियों को अन्य घरों में कन्या पूजन के लिए भेजने को लेकर खासे सजग हैं। वहीं, पूजन करने वाले भी समझदारी दिखाते हुए कन्याओं के लिए सीमित प्रसाद बनाएंगे, जबकि कई लोग प्रसाद के रूप में फल व दक्षिणा देकर पूजन करेंगे।
तिथियों की अलग अलग धारणाओं के चलते कई पर्व अब दो-दो दिन मनाए जाने लगे हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार अष्टमी और नवमी की पूजा शनिवार को ही होगी। दशहरा रविवार को मनाया जाएगा।
भारतीय प्राच्य विद्या सोसाइटी के अध्यक्ष ज्योतिषी डॉ. प्रतीक मिश्रपुरी के अनुसार शनिवार को ही कन्याएं जिमाई जाएंगी। उन्होंने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में मुहूर्त का विशेष महत्व है। यदि आप कोई कार्य सकाम अभिलाषा से करते हैं तो आपको मुहूर्त में ही करना चाहिए।
सूर्योदय व्यापिनी अश्विन शुक्ल अष्टमी को श्री दुर्गा अष्टमी या महा अष्टमी कहा जाता है। ये अष्टमी सूर्योदय के बाद एक घटी तक होनी अनिवार्य है। सप्तमी युक्ता अष्टमी है तो त्याग करना चाहिए, लेकिन यदि अष्टमी पहले दिन सप्तमी युक्ता हो और दूसरे दिन एक घटी से कम हो तो इसे सप्तमी युक्ता भी लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि इस बार विजयदशमी 25 अक्तूबर को होगी।