Tuesday, December 3, 2024
No menu items!
spot_img
spot_img
होमलाइफस्टाइलप्रेगनेंट होने पर पीरियड्स आने का क्‍या मतलब होता है

प्रेगनेंट होने पर पीरियड्स आने का क्‍या मतलब होता है

प्रेगनेंट होने पर ओवुलेशन नहीं होता है और न ही पीरियड आते हैं। पीरियड्स तभी आते हैं जब आप प्रेगनेंट नहीं होती हैं।
हालांकि, प्रेगनेंसी के दौरान थोड़ी ब्‍लीडिंग महसूस हो सकती है, लेकिन यह मासिक चक्र की वजह से नहीं होगा।

कुछ महिलाओं को तो स्‍तनपानी करवाने के दौरान भी पीरियड्स नहीं आते हैं। हालांकि, ये डिलीवरी के तुरंत बाद ओवुलेट करना शुरू कर सकती हैं। इसलिए डॉक्‍टर स्‍तनपान करवाने वाली महिला के प्रेगनेंसी न चाहने पर किसी न किसी गर्भ निरोधक के इस्‍तेमाल की सलाह दे सकते हैं।
मासिक चक्र प्रेगनेंसी के लिए ही होता है और इसका चक्र पीरियड के पहले दिन से शुरू होता है और अगले पीरियड के पहले दिन पर खत्‍म होता है।

preg_jstnews
preg_jstnews

जब ओवरी एग रिलीज करती है तो इस साइकिल के बीच में ओवुलेशन होता है। ओवुलेट करने के बाद लगभग 12 से 24 घंटे तक एग मौजूद रहता है। यदि स्‍पर्म कोशिका ओवरी में मौजूद रहे और एग को फर्टिलाइज कर दे तो एग तो अपने आप ही गर्भाशय में इंप्‍लांट हो जाता है और प्रेगनेंसी शुरू होती है।
इस प्रक्रिया में एग के फर्टिलाइज न होने पर मासिक चक्र शुरू होता है और शरीर यूट्राइन लाइनिंग को गिरा देता है।

गर्भावस्‍था में ब्‍लीडिंग के अन्‍य कारण
animated_jstnews
animated_jstnews

गर्भवती महिला को पीरियड्स नहीं आते हैं, लेकिन फिर भी उन्‍हें हल्‍की ब्‍लीडिंग हो सकती है। ऐसा जरूरी नहीं है कि प्रेगनेंसी में ब्‍लीडिंग किसी दिक्‍कत का संकेत हो। आपको प्रेगनेंसी में ब्‍लीडिंग का कारण पता करके डॉक्‍टर से इस बारे में बात करनी चाहिए।

प्रेगनेंसी की पहली तिमाही

imagee_jstnews
imagee_jstnews

गर्भावस्‍था की पहली तिमाही में ब्‍लीडिंग होने की संभावना ज्‍यादा होती है। गर्भाशय में प्‍लेसेंटा के इंप्‍लांट होने पर हल्‍की स्‍पॉटिंग हो सकती है। गर्भावस्‍था के दौरान सर्विकल कोशिकाओं में बदलाव भी महसूस हो सकता है जिसकी वजह से हल्‍की ब्‍लीडिंग हो सकती है, खासतौर पर सेक्‍स के बाद।
पहली तिमाही में ब्‍लीडिंग होने के अन्‍य कारणों में एक्‍टोपिक प्रेगनेंसी, संक्रमण, मिसकैरेज, सबकोरिओनिक हैमरेज (जिसमें यूट्राइन की दीवार और प्‍लेसेंटा के बीच में ब्‍लीडिंग होती है), जेस्‍टेशनल ट्रोफोब्‍लास्टिक डिजीज शामिल हैं।

प्रेगनेंसी के 20 सप्‍ताह के बाद

_jstnews
_jstnews

गर्भावस्‍था की पहली तिमाही के बाद निम्‍न कारणों से ब्‍लीडिंग हो सकती है :
सर्विकल एग्‍जामिनेशन : किसी भी तरह की समस्‍या की जांच के लिए डॉक्‍टर गर्भाशय ग्रीवा की जांच करेंगे। इस प्रक्रिया की वजह से हल्‍की ब्‍लीडिंग हो सकती है।
प्‍लेसेंटा प्रीविया : जब प्‍लेसेंटा गर्भाशय ग्रीवा के खुलने वाली जगह पर या इसके पास ही इंप्‍लांट हो जाती है तो प्‍लेसेंटा प्रीविया की स्थिति उत्‍पन्‍न होती है।
प्रीटर्म लेबर : प्रसव के दौरान गर्भाशय ग्रीवा चौड़ी होता है और शिशु को नीचे लाने के लिए गर्भाशय सिकुड़ने लगता है। इससे थोड़ी ब्‍लीडिंग हो सकती है।
सेक्‍स : डॉक्‍टर की सलाह पर आप प्रेगनेंसी में सेक्‍स कर सकती हैं। योनि और गर्भाशय ग्रीवा के ऊतकों में अधिक सेंसिटविटी होने की वजह से थोड़ी ब्‍लीडिंग और स्‍पॉटिंग महसूस हो सकती है।
यूट्राइन रप्‍चर : प्रसव के दौरान गर्भाशय के छिलने पर ऐसा होता है। ऐसा दुर्लभ ही होता है।
प्‍लेसेंटा एब्‍रप्‍शन : इसमें प्‍लेसेंटा शिशु के जन्‍म से पहले ही गर्भाशय से अलग होना शुरू कर देता है।
यदि महिला को प्रेगनेंसी के किसी भी सप्‍ताह या महीने में ब्‍लीडिंग हो रही है तो खून का रंग, मात्रा और गाढ़ापन नोट करके डॉक्‍टर को बताए।

- Advertisement -spot_img

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

- Advertisment -spot_img

NCR News

Most Popular

- Advertisment -spot_img