सात महीने बाद भक्तों ने वृंदावन के श्रीबांकेबिहारी मंदिर के पट खुलने पर ठाकुरजी के दर्शन किए गए थे, लेकिन दो दिन बाद ही उन्हें बंद कर दिया गया। इससे आहत हुए भक्तों ने अब ठाकुरजी के दर्शन के लिए न्यायालय का द्वार खटखटाया है। सोमवार को मथुरा सिविल जज जूनियर डिवीजन के यहां दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें श्रीबांकेबिहारी जी के दर्शन उनके भक्तों को कराने की गुहार लगाई गई है।
कोरोना संक्रमण के कारण श्रीबांकेबिहारी मंदिर के पट 22 मार्च को बंद किए गए थे। करीब सात माह बाद 17 अक्तूबर को मंदिर खुलने पर भक्तों ने दर्शन किए। दोनों दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। व्यवस्थाएं अनियंत्रित होने पर दो दिन के बाद मंदिर को फिर बंद करने का आदेश जारी हो गया। इसके खिलाफ सोमवार को मथुरा सिविल जज जूनियर डिवीजन के यहां दो अलग-अलग याचिका दायर की गई हैं।
दोनों ही याचिकाओं में श्रीबांकेबिहारी मंदिर को खोलने और नियमित दर्शन कराने के लिए डीएम, एसएसपी को आदेशित करने की गुहार न्यायालय से लगाई गई है। एक याचिका दो अधिवक्ताओं एनपी सिंह और राजेंद्र माहेश्वरी की ओर से दाखिल की गई है तथा दूसरी याचिका श्रद्धालु हिमांशु गोस्वामी की ओर से दाखिल की गई है।
याचिकाकर्ता एनपी सिंह ने कहा कि देश और दुनिया में श्रीबांकेबिहारी के भक्त मौजूद हैं। सात माह से दर्शन न होने से सभी दर्शन के लिए बेचैन हैं। दो दिन दर्शन के लिए मंदिर के पट खोलकर मंदिर प्रबंधन ने राहत प्रदान की थी, लेकिन मनमाने तरीके से मंदिर को फिर बंद कर दिया गया है। न्यायालय से अपील की है कि इसके लिए डीएम, एसएसपी को मंदिर के पट खोलने के लिए आदेशित करें।
याचिकाकर्ता राजेंद्र माहेश्वरी ने कहा कि प्रतिवर्ष करीब चार करोड़ से अधिक श्रद्धालु वृंदावन में श्रीबांकेबिहारी जी के दर्शन के लिए आते हैं। यह संख्या देश में सर्वाधिक दर्शन वाले मंदिरों में से एक है। वृंदावन में तो रोजगार का माध्यम भी श्रीबांकेबिहारी ही हैं। मंदिर के न खुलने से लोगों की रोजीरोटी संकट में पड़ गई हैं। न्यायालय से गुहार लगाई है कि प्रशासन को कोविड की व्यवस्थाओं के साथ मंदिर खोलने के लिए आदेशित करें।
याचिकाकर्ता हिमांशु गोस्वामी ने कहा कि न्यायालय के आदेश पर श्रीबांकेबिहारी मंदिर को खोला गया था, लेकिन अब बगैर न्यायालय की सहमति लिए मंदिर को प्रबंधक ने बंद कर दिया है। यह मनमानी है। मंदिर के बाहर भीड़ को नियंत्रित करने का दायित्व पुलिस प्रशासन का है, जो इस व्यवस्था में नाकाम रहे हैं। अब न्यायालय से दर्शन के लिए मंदिर खुलवाने और प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।