दरअल, हवा की गति मद्धम रहने के कारण प्रदूषण के कण वातावरण में जम जा रहे हैं। ऐसे मेंं उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में जब हवा की गति तेज होगी तो प्रदूषण से कुछ हद तक राहत मिल सकेगी। बहरहाल, सबसे बड़ी बात है कि गाजियाबाद में पहली बार हवा बेहद खराब स्तर को छू गई है जबकि गुरुग्राम में पहली बार हवा खराब स्तर पर पहुंच गई। ऐसे में माना जा रहा है कि घुटन वाले दिन कभी भी शुरू हो सकते हैं। तब अस्थमा और सांस की बीमारियों के मरीजों को अब काफी सावधानी बरतने की जरूरत है। बड़ी चिंता इस बात की है कि प्रदूषण का स्तर बढ़ा तो कहीं कोविड-19 की दूसरी लहर ने शुरू हो जाए।
दिल्ली-एनसीआर में हवा कहां, कितनी खतरनाक
पराली बढ़ने के साथ ही दल्ली की हवा में प्रदूषण भी तजी से बढ़ रहा है। सोमवार को प्रदूषण का स्तर इस सीजन में सबसे अधिक दर्ज किया गया। हालांकि, हवा की दिशा में बदलाव के साथ अब 14 अक्टूबर से इसमें मामूली कमी आने की उम्मीद है। लेकिन यह राहत ज्यादा दिनों तक नहीं मिलेगी। सीपीसीबी के एयर बुलेटिन के मुताबिक, सोमवार को राजधानी का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 261 दर्ज किया गया। पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा सबसे अधिक रही। दिल्ली के अलावा बागपत में 333, बहादुरगढ़ में 217, बलभागढ़ में 161, भिवाड़ी में 266, फरीदाबाद में 224, गाजियाबाद का 302, ग्रेटर नोएडा का 292, गुरुग्राम का 259, जींद का 294, कुरुक्षेत्र का 315, नोएडा का 274 रहा।
पराली जलाए जाने की तेज रफ्तार
प्रदूषण का हाल बताने वाली वेबसाइट सफर ने पराली से जुड़े आकलन की जानकारी देना शुरू कर दिया है। सफर के मुताबिक, पिछले दो सालों से 15 अक्टूबर के बाद ही पराली जलाने की घटनाएं 500 के पार करती थीं, लेकिन इस साल अभी तक दो से तीन दिन में ही करीब 500 जगहों पर पराली जलाने की घटना सामने आ चुकी है। पिछले साल पराली का प्रदूषण दो से 44 प्रतिशत तक गया था। वहीं, इस समय पिछले पीक सीजन की तुलना में पराली का आठवां हिस्सा जलाया जा रहा है।
पराली जलाने का पीक सीजन आना बाकी
इस साल पराली का पीक सीजन नवंबर के पहले हफ्ते में आ सकता है। पराली का पीक सीजन वह होता है जब पराली जलाने के सबसे अधिक मामले सामने आते हैं। इतना ही नहीं, पिछले दो साल की तुलना में इस बार पराली जलाने की शुरुआत भी काफी तेजी से हुई है। हालांकि, अभी राजधानी पराली की वजह से प्रदूषण के 3% असर पड़ा है।
उठे सरकारी कदम, लेकिन बेअसर
पराली पर किसानों के साथ काम कर रहे सेफ (Social Action For Environment And Forest) के फाउंडर विक्रांत तोंगड़ के अनुसार, पराली पर इस बार किसानों को सरकार की तरफ से अच्छी सुविधाएं दी जा रही हैं। सब्सिडी भी दी जा रही है और छोटे किसानों से किराया भी नहीं लिया जा रहा है। बावजूद इसके इसका संचालन खर्च भी किसानों को निकालना मुश्किल हो रहा है। कोविड-19 महामारी के दौर में किसानों के पास पैसों का काफी अभाव है, इसलिए वो इस पर खर्च करने की स्थिति में नहीं हैं। यही वजह है कि सरकारी प्रयासों के बावजूद पराली जलाने की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं।
दिल्ली में हॉटस्पॉट्स की निगरानी शुरू
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा क राजधानी की सभी कंस्ट्रक्शन साइटों पर धूल को कम करने के लिए पांच प्रमुख निर्देशों का पालन करना होगा। उन्होंने बताया कि 13 प्रदूषित हॉट स्पॉट्स की माइक्रो मॉनिटरिंग सोमवार से शुरू हो गई है। इस पर 14 अक्टूबर तक डीटेल रिपोर्ट आ जाएगी, उसके बाद ऐक्शन प्लान बनाया जाएगा। मंत्री ने कहा कि ग्रीन ऐप लॉन्च करने के से पहले सेंट्रल वॉर रूम और सभी संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाया जा रहा है।