आज सोमवार को सोना बढ़त के साथ खुला। MCX पर दिसंबर डिलिवरी वाला सोना आज सुबह 123 रुपये की तेजी के साथ 50940 रुपये प्रति दस ग्राम के भाव पर खुला। पिछले सत्र में इसका बंद भाव 50817 रुपये था। शुरुआती कारोबार में ही इसने 50830 रुपये का न्यूनतम और 51075 रुपये का उच्चतम स्तर छू लिया। सुबह 10 बजे यह 258 रुपये की तेजी के साथ 51075 रुपये पर ट्रेड कर रहा था। फरवरी डिलिवरी वाला सोना भी तेजी के साथ खुला। सुबह दस बजे यह 230 रुपये की तेजी के साथ 51189 रुपये पर ट्रेड कर रहा था।
वायदा में सोना-चांदी
वायदा बाजार में बीते सप्ताह सोने और चांदी कीमतों में आखिरी दिन यानी शुक्रवार को काफी तेजी देखने को मिली। एमसीएक्स पर सोना 650 रुपये यानी 1.3 फीसदी उछलकर 50,817 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर पहुंच गया। चांदी में 2,500 रुपये की जबरदस्त उछाल आई और यह 62,955 रुपये प्रति किलो हो गई। डॉलर में गिरावट और अमेरिका में स्टीम्युलस पैकेज की उम्मीद से सोने और चांदी को पंख लग गए। यूएस गोल्ड फ्यूचर्स 2 फीसदी से अधिक की तेजी के साथ 1,925 डॉलर प्रति औंस पहुंच गया। अमेरिकी चुनावों में जो बाइडेन की जीत की उम्मीद बढ़ने से डॉलर 0.7 फीसदी गिर गया। इस साल सोना अब तक 26 फीसदी चढ़ चुका है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड
त्योहारी सीजन से पहले मोदी सरकार एक बार फिर आपके लिए सस्ता सोना खरीदने का मौका दे रही है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना 2020-21 की सातवीं सीरीज के तहत इसे 12 से 16 अक्टूबर तक खरीदा जा सकता है। आरबीआई ने एक बयान में कहा है कि स्वर्ण बॉन्ड का निर्गम मूल्य 5,051 रुपये प्रति ग्राम तय किया गया है। बॉन्ड का मूल्य अभिदान अवधि से पिछले सप्ताह के आखिरी तीन कारोबारी दिनों में 999 शुद्धता वाले सोने के औसत बंद भाव के आधार पर 5,051 रुपये प्रति ग्राम है। सरकार ने आरबीआई के परामर्श से ऑनलाइन आवेदन करने और डिजिटल माध्यम से भुगतान करने वाले निवेशकों को प्रति ग्राम 50 रुपये की छूट देने का फैसला किया है। ऐसे निवेशकों के लिए स्वर्ण बॉन्ड की कीमत 5,001 रुपये प्रति ग्राम होगी।
एक्सपर्ट्स की मानें तो जारी रहेगा उतार-चढ़ाव
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंसियल सविर्सिज के जिंस शोध के उपाध्यक्ष नवनीत दमानी कहते हैं कि सोना ऊंचाई से गिरकर 50 हजार रुपये के दायरे में आया है, जबकि चांदी 60 हजार रुपये के दायरे में आ चुकी है। उनका मानना है कि आने वाले दिनों में भी उतार चढ़ाव जारी रह सकता है। केडिया कैपिटल के डायरेक्टर अजय केडिया मानते हैं कि स्टिमुलस पैकेज ने शेयर बाजारों के लिए स्टेरॉयड का काम किया। इसी की वजह से शेयर बाजार में तेजी आई है, लेकिन इसे नेचुरल नहीं कहा जा सकता।
इस बार फेस्टिव सीजन में भी कम रहेगी मांग
अक्टूबर-नवंबर के दौरान अमूमन सोने की मांग काफी बढ़ जाती है। इसकी वजह है फेस्टिव सीजन का आना। दिवाली के करीब सोना हमेशा चमकता है, लेकिन कोरोना की वजह से इस बार लोगों को आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही है, जिसका सीधा असर सोने की मांग पर पड़ा है। मुंबई के एक गोल्ड डीलर का कहना है कि इस बार फेस्टिव सीजन के दौरान भी मांग कम ही रहने का अनुमान है, क्योंकि कीमतें काफी बढ़ चुकी हैं।
कोरोना काल में सोना बना वरदान
सोना गहरे संकट में काम आने वाली संपत्ति है, मौजूदा कठिन वैश्विक परिस्थितियों में यह धारणा एक बार फिर सही साबित हो रही है। कोविड-19 महामारी और भू-राजनीतिक संकट के बीच सोना एक बार फिर रिकॉर्ड बना रहा है और अन्य संपत्तियों की तुलना में निवेशकों के लिए निवेश का बेहतर विकल्प साबित हुआ है। विश्लेषकों का मानना है कि उतार-चढ़ाव के बीच सोना अभी कम से कम एक-डेढ़ साल तक ऊंचे स्तर पर बना रहेगा। दिल्ली बुलियन एंड ज्वेलर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष विमल गोयल का मानना है कि कम एक साल तक सोना उच्चस्तर पर रही रहेगा। वह कहते हैं कि संकट के इस समय सोना निवेशकों के लिए ‘वरदान’ है। गोयल मानते हैं कि दिवाली के आसपास सोने में 10 से 15 प्रतिशत तक का उछाल आ सकता है
मुसीबत की घड़ी में हमेशा बढ़ी है सोने की चमक!
सोना हमेशा ही मुसीबत की घड़ी में खूब चमका है। 1979 में कई युद्ध हुए और उस साल सोना करीब 120 फीसदी उछला था। अभी हाल ही में 2014 में सीरिया पर अमेरिका का खतरा मंडरा रहा था तो भी सोने के दाम आसमान छूने लगे थे। हालांकि, बाद में यह अपने पुराने स्तर पर आ गया। जब ईरान से अमेरिका का तनाव बढ़ा या फिर जब चीन-अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर की स्थिति बनी, तब भी सोने की कीमत बढ़ी।