डाक विभाग के अधिकारी ने बताया कैसे किया कोरोना काल में काम
हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली चाणक्यपुरी पोस्ट ऑफिस में डाक सेवाओं के सहायक अधीक्षक अशोक कुमार ने बताया, हमने अप्रैल-2020 में अपने काम को फिर शुरू किया, जिसमें टाइमिंग और शिफ्ट को लेकर दिक्कत हो रही थी…क्योंकि हमें जरूरी दवाएं वक्त से पहुंचानी थी। ट्रांसपोर्ट में भी दिक्कतें आ रही थी।
अशोक कुमार, जो लगभग चार दशकों से डाक विभाग के कर्मचारी हैं, उन्होंने बताया, कोरोना काल में काम शुरू करना और अपने कर्मचारियों को महामारी से बचाना हमारे लिए एक चैलेंज था। हमने अपने सभी कर्मचारियों के लिए सबसे पहले सुरक्षा उपकरण की व्यवस्था की, जिसमें मास्क, सैनिटाइजर, पीपीई किट इत्यादी शामिल थे। लोगों ने अलग-अलग शिफ्टों में काम किया। काम का प्रेशर ज्यादा होने की वजह से लोगों ने एकस्ट्रा शिफ्ट भी किए।
जरूरत के वक्त हम छुट्टी तो नहीं ले सकते ना: पोस्टमैन
दिल्ली बेस्ड पोस्टमैन नरेंद्र कुमार, जो पिछले 34 सालों से पोस्टमैन का काम कर रहे हैं, उन्होंने कहा, कोरोमा महामारी के वक्त उन्होंने बिना छुट्टी लिए सारा काम किया। रेगुलर डिलीवरी के अलावा, मैंने हमेशा वैसे कुरियर को जल्दी पहुंचाने की कोशिश की,जो मनी ट्रांसफर होता था। कई लोगों ने महामारी के वक्त मनी ट्रांसफर के लिए दिया था। इस वक्त पर किसी को जरूरत ह तो हम छुट्टी तो नहीं ले सकते ना। उन्होंने कहा, हमने तो ये नौकरी लोगों की मदद करने के लिए ली थी, ये तो हमारा फर्ज है।
World Post Day का इतिहास विश्व डाक दिवस हर साल 9 अक्टूबर को यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) की स्थापना की वर्षगांठ को मनाने के लिए मनाया जाता है, जिसे स्विट्जरलैंड में 1874 में शुरू किया गया था। 1869 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) के निर्माण की वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए टोक्यो में 1969 में यूनिवर्सल पोस्टल कांग्रेस द्वारा विश्व डाक दिवस की घोषणा की गई थी। यह दिन भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य आनंद मोहन नरूला द्वारा प्रस्तावित किया गया था। तब से, हर साल 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है।
मिस्र में पाया जाने वाला पहला ज्ञात डाक दस्तावेज 255 ईसा पूर्व का है। हालांकि, इससे पहले भी राजाओं और सम्राटों की सेवा करने वाले दूतों के रूप में लगभग हर काल में डाक सेवाएं मौजूद थीं।
पेनी ब्लैक एक सार्वजनिक डाक प्रणाली में इस्तेमाल किया जाने वाला दुनिया का पहला चिपकने वाला डाक टिकट था। यह पहली बार ग्रेट ब्रिटेन में 1 मई 1840 को जारी किया गया था, लेकिन 6 मई तक उपयोग के लिए मान्य नहीं था।