राजस्थान के अलवर में पिछले साल हुई रेप की घटना के दोषियों को सजा सुना दी गई है. अदालत ने चार दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है, जबकि वीडियो फैलाने वाले को पांच साल की जेल की सजा सुनाई गई है. लेकिन सजा से इतर इस मामले में फैसला लिखते वक्त अदालत की ओर से जो बातें कही गई हैं उनपर हर किसी का ध्यान गया है।
अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण कोर्ट के विशेष न्यायाधीश बृजेश कुमार शर्मा ने इस मामले में फैसला सुनाया. उन्होंने अपने फैसले में कहा कि यह कृत्य तो राम काल के सीता हरण और कृष्ण काल के द्रौपदी चीरहरण से भी गंभीर है. जज ने कहा कि जो दुष्कर्म की अमरबेल से मुक्ति दिला सके दंड ऐसा होना चाहिए.
फैसले में कहा गया है कि द्वापर युग में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के समय भी सतीत्व की रक्षा की चुनौती स्वरूप माता सीता को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी, यह स्थिति आज भी कायम है. आज भी महिलाओं को दुष्कर्म के अपराधों में अपने आप को सही साबित करना होता है, आज भी महिला के चरित्र पर सवाल उठाए जाते हैं.।
आपको बता दें कि चार आरोपियों की उम्र कैद की सजा के अलावा पांचवें आरोपी को वीडियो वायरल करने के जुर्म में 5 साल की सजा सुनाई गई है. हालांकि, पीड़ित परिवार का कहना है कि बस सजा से संतुष्ट नहीं हैं इन आरोपियों को फांसी होनी चाहिए. इसलिए ऊपरी अदालत में अपील करेंगे. पीड़ित परिवार ने कहा कि ऐसा काम करने वालों की सजा फांसी से कम नहीं होनी चाहिए.
ये मामला ये मामला 2 मई 2019 का है. एक दलित पति-पत्नी अलवर थानागाजी रोड पर मोटरसाइकिल से थानागाजी की ओर जा रहे थे. तभी एक एकांत स्थान पर आरोपियों ने दंपति की मोटरसाइकिल रुकवा दी और पीड़िता को खींच ले गए. इस मामले में गहलोत सरकार ने 7 दिन बाद एफआईआर दर्ज की थी, जिसे लेकर देशभर में हंगामा मचा था।