भारत ने म्यांमार में चीन को काउंटर करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. भारत ने म्यांमार में 6 अरब डॉलर की पेट्रोलियम रिफाइनरी बनाने का प्रस्ताव रखा है. चीन भारत के पड़ोसी देशों में निवेश के जरिए ही अपनी पकड़ मजबूत करता है और फिर उसे अपने रणनीतिक इस्तेमाल में लाता है. भारतीय सेना प्रमुख मनोज मुकंद नरवणे और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला म्यांमार के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे थे. इस दौरे को काफी अहम माना जा रहा है. इस दौरे में कई अहम समझौते हुए|
मामले से जुड़े एक सूत्र ने लाइव मिंट से कहा, भारत नहीं चाहता है कि पड़ोसी देश म्यांमार पूरी तरह से चीन के पाले में चला जाए. ये परियोजना दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगी. इंडियन ऑयल कॉर्प्स ने इस परियोजना को लेकर दिलचस्पी दिखाई भारत म्यांमार को कोरोना वायरस महामारी से लड़ाई में मदद देने के अपने वादे को भी निभा रहा है. इसके तहत, भारत म्यांमार को 3000 वायल्स रेमडेसविर दवा उपलब्ध कराएगा. इसके अलावा, भारत म्यांमार से 31 मार्च तक डेढ़ लाख टन उड़द भी आयात करेगा. म्यांमार और उससे सटे भारतीय राज्य मिजोरम की सीमा पर बॉर्डर हाट ब्रिज बनाने के लिए 2 मिलियन डॉलर की धनराशि आवंटित की गई है|
भारत का ये कदम ऐसे वक्त में आया है जब म्यांमार में चीन का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. जनवरी महीने में ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने म्यांमार का दौरा किया था और इस दौरे में दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए थे.
इस दौरे में म्यांमार में कयाऊफायु विशेष आर्थिक जोन स्थापित करने को लेकर समझौता हुआ|चीन की बेल्ट ऐंड रोड परियोजना के तहत1700 किमी क्षेत्र में चाइना-म्यांमार इकोनॉमिक कॉरिडोर भी बनाया जाएगा. इसके अलावा, चीन ने म्यांमार के साथ ऑयल, गैस पाइपलाइन, रोड और रेल समेत कई परियोजनाओं को लेकर समझौते हुए, भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने कहा, “भारत के म्यांमार में रिफाइनरी बनाने का फैसला बेहतरीन है. ये बहुत ही रणनीतिक परियोजना है जिससे म्यांमार की चीन के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर निर्भरता कम होगी. भारत सिर्फ ऐक्ट ईस्ट का नारा देकर चीन का मुकाबला नहीं कर सकता है. म्यांमार में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए निवेश करना जरूरी है|