वित्त वर्ष 2020-2021 में भारत की जीडीपी मे भारी गिरावट आई है. पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट -23.9 की गिरावट दर्ज की गई। न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ा है। इस गिरावट का प्रमुख कारण देशभर मे हुए लॉकडाउन रहा। जिससे आर्थिक गतिविधियाँ पूरी तरह से ठप पड़ गई। ल़ॉकडाउन से यह अनुमान लगाया जा रहा था।
जीडीपी में डबल डिजिट की गिरावट आ सकती है। राष्ट्रीय संख्यिकिय कार्यालय (एनएसओ) की पिछले वित्त वर्ष मे जारी किए गए जीडीपी मे 5.2 की बढ़ोत्तरी रही थी।
अधिकांश रेटिंग एजेंसी का कहना यही था की जीडीपी में भारी गिरावट आ सकती है। जैसाकी सरकार द्वारा कोरोना माहामारी को रोकने के लिए 25 मार्च से संपूण देश मे लॉकडाउन का एलान किया था। इस दौरान लोगों को घर से बहार नीकलने की अनूमती नही थी। उसके ठीक 1 महीने बाद 20 अप्रेल से केन्द्र सरकार ने कुछ निश्र्चित आर्थिक गतिविधियों मे ढ़ील देने की शुरुआत की थी। जिससे व्यवस्था मे सुधार आने की सुधार आने की समभावना बताई जा रही थी।
वित्त वर्ष 2019-20 मे भारतिय अर्थव्यवस्था मे 4.5 फिसदी की बढ़त हुई थी।
(एनएसओ) के मुताबिक 2020-21 की पहली तीमाही मे मेन्युफैक्चरींग सेक्टर मे (सकल मुल्य वर्धन) (जीवीए) -39.3 फीसदी रहा वहीं
-कसंट्रक्शन सेक्टर -38%
-सर्विस सेक्टर -20.6%
-खनन क्षेत्र मे -23.3%
-ट्रेड & होटल -47%
की गीरावट रही।
केवल कृषि क्षेत्र की ग्रोथ में 3.4% की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।
वहीं मुख्य आर्थिक सलाहकार के.वी सुब्रह्म्णयम का मानना यह है की चालु वित्त वर्ष की पेहली तिमाही मे -23.9% की गिरावट का मुख्य कारण कोवीड-19 के संक्रमण रोकने के लिए लगाया गया लॉकडाउन है।
उनका केहना है की आने वाले तिमाही मे देश बेहतर प्रदर्शन करेगा।
कई क्षेत्रो मे सुधार देखा भी जा रहा है जैसेकी बिजली उपभोग और रेल है मालवाहन संकेत दिखा रहे हैं की आर्थिक गतिविधियों में सुधार हो रहा है।
विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है की कोविड-19 के प्रभाव के चलते वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था मे करीब 10% तक की गिरावट आ सकती है
वहीं उघोग जगत ने कहा की विभिन्न सुधारों मे 20 लाख करोड रुपय के प्रोत्साहन पैकेज और रिर्जव बैंक के उपाय से आने वाले तिमाही में अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे पुनरुधार होने की उम्मीद है।