जनसागर टुडे /धीरेन्द्र अवाना
नोएडा।अपराध पर अंकुश लगाने का दावा करने वाली नोएडा पुलिस का दावा उस वक्त बेमानी सा लगा जब एक व्यक्ति से कुछ अज्ञात लोगों ने गनपाईंट पर उसकी कार लूट ली।और तो और पीड़ित की शिकायत तक पुलिस ने दर्ज नही की।आपको बता दे कि ताजा मामला छ्लेरा निवासी राजबहादुर का है।जिसने अपनी वैगन आर गाड़ी नाेएडा के सैक्टर-18 स्थित एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक से फाइनेंस करायी थी।पीड़ित इसी गाड़ी को औला और ऊबर में चलाकर अपने परिवार का लालन पोषण करता था।दिनांक 10 सितंबर को पीड़ित सैक्टर-63 में सवारी का इंतेजार कर रहा था।तभी कुछ अज्ञात लोगों ने आकर गनपाईट पर पीड़ित से गाड़ी की चाबी और मोबाइल फोन छिन लिया।उसके बाद पीडित को गाजियाबाद के बम्हेटा गांव ले गये।यहा पीड़ित को पता कि ये लोग रिकवरी एजेंट है। पीड़ित ने तुरंत ही इसकी सूचना बैंक को दी और कहा कि मेरी सारी किस्त जमा है फिर भी मेरी गाड़ी को आपके कर्मचारियों ने गनपाईंट पर छिन लिया।जिसके बाद बैंक ने अपनी गलती मानते हुये कहा कि रामबहादुर नाम के व्यक्ति की गाड़ी रिकवर करनी थी गलती से आपकी गाड़ी रिकवर हो गयी।अब बड़ा सवाल ये उठता है कि अगर बैंक को गाड़ी ही रिकवर करवानी थी तो कम से कम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के दिशा-निर्देश का पालन करना चाहिए था।लेकिन बैंक ऐसा ना नियमों की अनदेखी की है।आपको बता दे कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं कि उचित पुलिस वेरिफिकेशन और दूसरी संबंधित औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही पैसे रिकवर करने के लिए एजेंट्स भेज सकते हैं।और तो और किसी बैंक के पास लोन को जबरदस्ती रिकवर करने के लिए कोई बाउंसर नियुक्त करने का कोई अधिकार नहीं है।पीड़ित का आरोप है कि करीब 11 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस ने उसकी शिकायत दर्ज नही की।जब इसकी शिकायत आलाधिकारियों से की तो कई मामलों में अपनी फजीहत करा चुकी थाना फेस-3 की पुलिस ने उल्टा पीड़ित को डराने और धमकाने शुरु कर दिया।जिसके बाद पीड़ित ने परेशान होकर कोर्ट की शरण ली।बात करे थाना फेस-3 की तो यहा इस तरह का कोइ पहला मामला नही इससे पहले भी 9 अगस्त 2020 को चोरी के मामले में गिरफ्तार एक आरोपी पुलिस को चकमा देकर कोतवाली फेज-तीन थाने से फरार हो गया।इस संबंध में एक मामला दर्ज किया गया था।जिसमें अभी तक कोइ कारवाई नही हुयी है।